शाह-ए-मर्दां शेर-ए-यज़्दाँ क़ुव्वत-ए-परवरदिगार
ला-फ़ता इल्ला अली ला सैफ़ इल्ला ज़ुलफ़िक़ार
इस तरहा चलती थी रन में तेग़े शेरे किरदगार
हर तरफ से अश्किया में अल-अमाँ की थी पुकार
कर चुका जब ज़ेर मरहब को शहे दुलदुल सवार
आ रही थी ये सदा दीवार-ओ-दर से बार बार
शाह-ए-मर्दां शेर-ए-यज़्दाँ क़ुव्वत-ए-परवरदिगार
ला-फ़ता इल्ला अली ला सैफ़ इल्ला ज़ुलफ़िक़ार
जिस तरहा कोई ख़ुदा-ए-पाक से बर-तर नहीं
जिस तरहा कोई रसूल अल्लाह का हम-सर नहीं
एक है दुनिया में हैदर दूसरा हैदर नहीं
मिसले हैदर ये किसी की तेग़ में जौहर नहीं
एक तरफ़ सारी इबादत एक तरफ़ हैदर का वार
ला-फ़ता इल्ला अली ला सैफ़ इल्ला ज़ुलफ़िक़ार
ज़ुज़ अली था कौन हक़ के वास्ते सीना सिपर
कौन उठता था रसूल अल्लाह की आवाज़ पर
किसने क़ुरबाँ कर दिया राहे ख़ुदा में अपना घर
इस हक़ीक़त से भला हम किस तरहा फेरे नज़र
है इसी आवाज़ पर तकबीर का दार-ओ-मदार
ला-फ़ता इल्ला अली ला सैफ़ इल्ला ज़ुलफ़िक़ार
याद कर लो दूर क्यूँ जाते हो कल की बात है
जंग के मैदाँ में काम आया वो किसकी ज़ात है
महव-ए-हैरत मुत्तकी लश्कर पे कायनात है
हक़-ओ-नुसरत आज भी नामे अली के साथ है
गूँजता है हैदरी नारों से दश्ते कार-ज़ार
ला-फ़ता इल्ला अली ला सैफ़ इल्ला ज़ुलफ़िक़ार
काम आया फिर वोही जब वक़्त आया इम्तिहाँ
नाम से जिसके लरज़ते है ज़मीन-ओ-आसमाँ
लाख जलता हो अली के कारनामों से जहाँ
सबसे अफ़ज़ल आज है दुनिया में हैदर का निशान
आज भी सजती है सीनों पे एक यही यादगार
ला-फ़ता इल्ला अली ला सैफ़ इल्ला ज़ुलफ़िक़ार
कहते थे औन-ओ-मोहम्मद मादर-ए-ग़मख़ार से
इस तरहा रन में लड़ेंगे लश्कर-ए-कुफ़्फ़ार से
सब हमें तशबीह देंगे जाफ़र-ए-तय्यार से
बच के जा पाएगा कोई क्या हमारे वार से
खैंच देंगे तेग़ से हम बद्र के नक़्श-ओ-निगार
ला-फ़ता इल्ला अली ला सैफ़ इल्ला ज़ुलफ़िक़ार
इस तरहा चलती थी रन में तेग़े शेरे किरदगार
हर तरफ से अश्किया में अल-अमाँ की थी पुकार
कर चुका जब ज़ेर मरहब को शहे दुलदुल सवार
आ रही थी ये सदा दीवार-ओ-दर से बार बार
शाह-ए-मर्दां शेर-ए-यज़्दाँ क़ुव्वत-ए-परवरदिगार
ला-फ़ता इल्ला अली ला सैफ़इल्ला ज़ुलफ़िक़ार
जिस तरहा कोई ख़ुदा-ए-पाक से बर-तर नहीं
जिस तरहा कोई रसूल अल्लाह का हम-सर नहीं
एक है दुनिया में हैदर दूसरा हैदर नहीं
मिसले हैदर ये किसी की तेग़ में जौहर नहीं
एक तरफ़ सारी इबादत एक तरफ़ हैदर का वार
ला-फ़ता इल्ला अली ला सैफ़ इल्ला ज़ुलफ़िक़ार
ज़ुज़ अली का कौन हक़ के वास्ते सीना सिपर
कौन उठता था रसूल अल्लाह की आवाज़ पर
किसने क़ुरबाँ कर दिया राहे ख़ुदा में अपना घर
इस हक़ीक़त से भला हम किस तरहा फेरे नज़र
है इसी आवाज़ पर तकबीर का दार-ओ-मदार
ला-फ़ता इल्ला अली ला सैफ़ इल्ला ज़ुलफ़िक़ार
याद कर लो दूर क्यूँ जाते हो कल की बात है
जंग के मैदाँ में काम आया वो किसकी ज़ात है
महव-ए-हैरत मुत्तकी लश्कर पे कायनात है
हक़-ओ-नुसरत आज भी नामे अली के साथ है
गूँजता है हैदरी नारों से दश्ते कारज़ार
ला-फ़ता इल्ला अली ला सैफ़ इल्ला ज़ुलफ़िक़ार
क्या कोई रोकेगा हमको मातमे शब्बीर से
बाँध दे कोई हमें गर आहनी ज़ंजीर से
मुंतक़िल हो ज़ाये गर्दन भी अगर शमशीर से
क्यूँ ना हो "महशर" अक़ीदत शाहे ख़ैबर-गीर से
या अली कह देंगे जब रुक जाएगी ख़ंजर की धार
ला-फ़ता इल्ला अली ला सैफ़ इल्ला ज़ुलफ़िक़ार
शाह-ए-मर्दां - योद्धाओं का सरदार
शेर-ए-यज़्दाँ - ख़ुदा का शेर
क़ुव्वत-ए-परवरदिगार - अल्लाह की ताक़त
ला-फ़ता इल्ला अली - इमाम अली अलैहिस्सलाम को हराया नहीं जा सकता
ला सैफ़ इल्ला ज़ुलफ़िक़ार - ज़ुलफ़िक़ार सी कोई तलवार नहीं
किरदगार - ख़ुदा
बर-तर - श्रेष्ठतर, ऊँचा, बलंद, उत्तम
अल-अमाँ - डर के मारे पनाह माँगना
हम-सर - बराबर
महव-ए-हैरत - हैरान हो जाना
मुत्तकी - सहारा लेने वाला
कार-ज़ार - जंग, युद्ध
आहनी - लोहे का बना हुआ
मुंतक़िल - अलग हो जाना
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Shah-e-Mardan Sher-e-Yazdan Quwat-e-Parwardigar
La fata illa Ali la saif illa Zulfiqar
Is tarha chalti thi ran me teghe Shere kirdgaar
Har taraf se ashkiyan me al-amaan ki thi pukar
Kar chuka jab zer marhab ko Shahe duldul sawaar
Aa rahi thi ye sada deewar-o-dar se baar baar
Shah-e-Mardan Sher-e-Yazdan Quwat–e-Parwardigar
La fata illa Ali la saif illa Zulfiqar
Jis tarha koi Khuda e paak se badh kar nahi
Jis tarha koi Rasool Allah ka hamsar nahi
Ek hai dunya me Haider doosra Haider nahi
Misle Haider ye kisi ki tegh me jauhar nahi
Ek taraf saari ibadat ek taraf Haider ka waar
La fata illa Ali la saif illa Zulfiqar
Juz Ali ka kaun haq ke waaste sina sipar
Kaun uthta tha Rasool Allah ki awaaz par
Kisne qurban kar diya raahe Khuda me apna ghar
Is haqeeqat se bhala hum kis tarha phere nazar
Hai isi awaaz par takbeer ka daar o madaar
La fata illa Ali la saif illa Zulfiqar
Yaad karlo door kyun jaate ho kal ki baat hai
Jang ke maidan me kaam aaya wo kiski zaat hai
Mehre hairat muttaqil lashkar pe kaayanat hai
Haq o nusrat aaj bhi name Ali ke saath hai
Goonjta hai Haideri naaro se dashte kaarzaar
La fata illa Ali la saif illa Zulfiqar
Kaam aaya phir wohi jab waqt aaya imtihan
Naam se jiske larazte hai zameen-o-aasman
Laakh jalta ho Ali ke kaarnamo se jahan
Sabse afzal aaj hai dunya me Haider ka nishan
Aaj bhi sajti hai seeno pe ek yehi yaadgaar
La fata illa Ali la saif illa Zulfiqar
Kahte the Aun-o-Mohammed madar-e-gamkhar se
Is tarha ran me ladenge lashkar-e-kuffar se
Sab hame tashbeeh denge Jafar-e-Tayyar se
Bach ke jaa payega koi kya hamare waar se
Khainch denge tegh se hum Badr ke naksh-o-nigaar
La fata illa Ali la saif illa Zulfiqar
Is tarha chalti thi ran me teghe Sher-e-kirdgaar
Har taraf se ashkiyan me al-amaan ki thi pukar
Kar chuka jab zer marhab ko Shah-e-duldul sawaar
Aa rahi thi ye sada deewar-o-dar se baar baar
Shah-e-Mardan Sher-e-Yazdan Quwat–e-Parwardigar
La fata illa Ali la saif illa Zulfiqar
Jis tarha koi Khuda-e-paak se badh kar nahi
Jis tarha koi Rasool Allah ka hamsar nahi
Ek hai dunya me Haider doosra Haider nahi
Misle Haider ye kisi ki tegh me jauhar nahi
Ek taraf saari ibadat ek taraf Haider ka waar
La fata illa Ali la saif illa Zulfiqar
Juz Ali ka kaun haq ke waaste sina sipar
Kaun uth-ta tha Rasool Allah ki awaaz par
Kisne qurban kar diya raahe Khuda me apna ghar
Is haqeeqat se bhala hum kis tarha phere nazar
Hai isi awaaz par takbeer ka daar-o-madaar
La fata illa Ali la saif illa Zulfiqar
Yaad karlo door kyun jaate ho kal ki baat hai
Jang ke maidan me kaam aaya wo kiski zaat hai
Mehr-e-hairat muttaqi lashkar pe kainaat hai
Haq-o-nusrat aaj bhi naame Ali ke saath hai
Goonjta hai Haideri naaro se dashte kaarzaar
La fata illa Ali la saif illa Zulfiqar
Kya koi rokega humko matam-e-Shabbir se
Baandh de koi hame gar aahni zanjeer se
Muntaqil ho jaye gardan bhi agar shamsheer se
Kyun na ho "Mehshar" aqeedat Shah-e-khaiber-geer se
Ya Ali kah denge jab ruk jayegi khanjar ki dhaar
La fata illa Ali la saif illa Zulfiqar
Shah-e-Mardan - King of men
Sher-e-Yazdan - Lion of God
Quwat–e-Parwardigar - Strength of God
La fata illa Ali - There is no one unconquerable like Ali
La saif illa Zulfiqar - There is no sword like Zulfiqar
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