Zanjeer me jakde hue beemar ka maatam

ज़ंजीर में जकड़े हुए बीमार का मातम.....
हम करते हैं करबल के अज़ादार का मातम
ज़ंजीर में जकड़े हुए बीमार का मातम.....

सज्जाद ने देखे हैं अजब दर्द के मंज़र
नेज़ों की बलंदी पा शहीदों के कटे सर
माँ बहनें थीं बाज़ारों में बेमख़ना-ओ-चादर
शब्बीर के मक़सद के मददगार का मातम

ज़ंजीर में जकड़े हुए बीमार का मातम.....

पाबंदे रसन हो गयी कुबरा की कलाई
चादर भी ना थी सर पा घटा ज़ुल्म की छाई
एक बेवा बहन साथ थी मजबूर था भाई
है आज उसी बेकसो नाचार का मातम

ज़ंजीर में जकड़े हुए बीमार का मातम.....

रस्सी मे बंधा प्यासी सकीना का गला था
कहतीं थी मुझे गोद में ले लीजिए भय्या
किस तरह से देते उसे सज्जाद दिलासा
है तौक़-ओ-सलासिल के गिरफ़्तार का मातम

ज़ंजीर में जकड़े हुए बीमार का मातम.....

आता कभी जब सामने सज्जाद के पानी
याद आती थी असग़र की उसे तशनादहानी 
तड़पाती थी पैहम अली अकबर की जवानी
आओ करें प्यासों के अज़ादार का मातम

ज़ंजीर में जकड़े हुए बीमार का मातम.....

जब पूछता कोई तो अजब होता था कोहराम
टूटे है कहाँ सबसे ज़ियादा ग़मों आलाम
दिल थाम के सज्जाद कहा करते थे अश्-शाम
बाज़ार का ज़िंदान का दरबार का मातम

ज़ंजीर में जकड़े हुए बीमार का मातम.....

मज़लूम के हिस्से में भी ज़हरे सितम आया
एक हश्र "रशीद" अहले मदीना में था बरपा
लो सो गया इस्लाम के ज़ख़्मों का मसीहा
अश्कों की फ़ज़ाओं में है बीमार का मातम

ज़ंजीर मे जकड़े हुए बीमार का मातम....

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Zanjeer me jakde hue beemar ka maatam.....
Hum karte hain Karbal ke azadar ka maatam
Zanjeer me jakde hue beemar ka maatam.....

Sajjad ne dekhe hain ajab dard ke manzar
Naizon ki balandi pe shahidon ke kate sar
Maa behne thi bazaron me bemakhna-o-chadar
Shabbir ke maqsad ke madadgar ka maatam

Zanjeer me jakde hue beemar ka maatam.....

Pabande rasan ho gayi Kubra ki kalayi
Chadar bhi na thi sar pa ghata zulm ki chayi
Ek bewa bahan saath thi majboor tha bhai
Hai aaj usi bekaso naachar ka maatam

Zanjeer me jakde hue beemar ka maatam.....

Rassi me bandha pyaasi Sakina ka gala tha
Kehti thi muje god me le lijiye bhaiyya
Kis tarah se dete use Sajjad dilasa
Hai touq o salasil ke giraftar ka maatam

Zanjeer me jakde hue beemar ka maatam.....

Aata kabhi jab samne Sajjad ke pani
Yaad aati thi Asghar ki use tashna dahani
Tadpaati thi paiham Ali Akbar ki jawani
Aao karen pyaaso ke azadar ka maatam

Zanjeer me jakde hue beemar ka maatam.....

Jab poochta koi toh ajab hota tha kohram
Toote hai kahan sabse zyada ghamo aalaam
Dil tham ke Sajjad kaha karte the ash-shaam
Baazar ka zindaan ka darbar ka maatam

Zanjeer me jakde hue beemar ka maatam.....

Mazloom ke hisse me bhi zehre sitam aaya
Ek hashr "Rasheed" ahle Madina me tha barpa
Lo so gaya Islam ke zakhmo ka masiha
Ashkon ki fazaon me hai beemar ka maatam

Zanjeer me jakde hue beemar ka maatam.....

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