Zainab lipat ke royeen Abbas ke alam se


ज़ैनब लिपट के रोईं अब्बास के अलम से 
सैदानियाँ थीं मुज़तर चेहरे थे ज़र्द ग़म से 

ज़ैनब लिपट के रोईं.....

लिपटी हुई आलम से कहती थी बिन्ते ज़हरा
इस वक़्ते बेकसी में अब्बास बिछड़े हम से 

ज़ैनब लिपट के रोईं.....

अब्बास मर गए हैं सुन कर खबर यह शह की
तस्वीरे यास-ओ-हसरत हर बीबी थी अलम से

ज़ैनब लिपट के रोईं.....

इक हश्र सा बपा है अर्ज़-ओ-समा है लरज़ा
आहो बुका का तूफाँ  उठता है जो हरम से

ज़ैनब लिपट के रोईं.....

बच्ची ने माँ से पूछा क्यूँ इतना रो रही हो
अम्मू नहीं  मिलेंगे क्या फिर ना आ के हम से

ज़ैनब लिपट के रोईं.....

बाबा चाचा कहाँ हैं लाए हो क्यूँ अलम को
यह पूछती थी बच्ची लिपटी शहे उमम से 

ज़ैनब लिपट के रोईं.....

बाली सकीना लायीं लब पर ना अलअतश फिर
सहमी बिछड़ के ऐसी अब्बासे ज़ी-हशम से

ज़ैनब लिपट के रोईं.....

उल्फ़त की और वफ़ा की ज़िंदा मिसाल बन कर
मश्क-ए-सकीना अब भी है मुनसलिक अलम से 

ज़ैनब लिपट के रोईं.....

भाई से भाई बिछड़े जिसका कोई की हालत
दर्द आशना से पूछो या फिर अनीस-ए-ग़म से 

ज़ैनब लिपट के रोईं.....

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Zainab lipat ke royeen, Abbas ke alam se 
Saidaniyan thi muztar, chehre the zard gham se 

Zainab lipat ke royeen.....

Liptee hui alam se ,kahti thi thi Bint-e-Zehra
Is waqt-e-bekasi mein, Abbas bichre hum se 

Zainab lipat ke royeen.....

Abbas mar gaey hain, sun kar khabar yeh Shah ki
Tasweer-e-yas-o-hasrat, har bibi thi alam se

Zainab lipat ke royeen.....

Ik hashr sa bapa hai, arz-o-sama hai larza
Aaho buka ka toofan,uthta hai jo haram se

Zainab lipat ke royeen.....

Bachchi ne maa se poocha, kyun itna ro rahee ho
Ammu nahi milenge, kya phir na aa ke hum se

Zainab lipat ke royeen.....

Baba chacha kahan hain, laye ho kyun alam ko
Yeh poochthi thi bachchi, liptee Shah-e-Umam se 

Zainab lipat ke royeen.....

Bali Sakina layee ,lab per na al-atash phir
Sahmee bichar ke aisi Abbas-e-zeehasham se

Zainab lipat ke royeen.....

Ulfat ki aur wafa ki, zinda misaal ban ker
Mashk-e-Sakina ab bhi, hai munsalik alam se 

Zainab lipat ke royeen.....

Bhai se bhai bichre, jiska koi ki haalat
Dard aashna se poocho, ya phir Anis-e-Gham se 

Zainab lipat ke royeen.....

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