बैन करता हुआ ख़ाक उड़ाता हुआ
तश्नालब बेरिदा लो चला क़ाफ़िला
सुन के शोरे फ़ुग़ाँ एक कोहराम है
बरसरे करबला लो चला क़ाफ़िला
बैन करता हुआ.....
रस्मे परदागरी जिस के घर से चली
शाहज़ादी वो ही बेरिदा हो गयी
मर ना जाए कहीं ग़म से बिन्ते अली
हाय अब होगा क्या लो चला क़ाफ़िला
बैन करता हुआ.....
अपनी सूरत दिखा दो मुझे मेरी जान
फिर ख़ुदा जाने आना हो या के ना हो
आओ अकबर उठो हम को रुख़सत करो
माँ ने रो के कहा लो चला क़ाफ़िला
बैन करता हुआ.....
सानी-ए-फ़ातेमा बिन्ते शेरे ख़ुदा
कैसे बाज़ार में जाएगी बेरिदा
कैसे तय होगा वो शाम का रास्ता
रो रही है फ़ज़ा लो चला क़ाफ़िला
बैन करता हुआ.....
प्यार से जिस को पाला था शब्बीर ने
उसको जकड़ा गया तौक़-ओ-ज़ंजीर से
राह पुरख़ार परपबरहना सफ़र
कैसे होगा भला लो चला क़ाफ़िला
बैन करता हुआ.....
राख ख़ैमें हुए सब असासा लुटा
बेसहारा पयम्बर का कुनबा हुआ
शामे ग़ुरबत के क़ैदी चले शाम को
ले चले अश्किया लो चला क़ाफ़िला
बैन करता हुआ.....
हैं नबीज़ादीयाँ सर खुले बेरिदा
क्या गज़ब हो गया क्या सितम हो गया
बेकजावह सवारी और आले अबा
शोरे मातम उठा लो चला क़ाफ़िला
बैन करता हुआ.....
जिनकी चाहत पे कौनेन को नाज़ है
जिसका सानी ज़मानें में कोई नहीं
चाहने वाले वो भाई और बहन
हो रहे है जुदा लो चला क़ाफ़िला
बैन करता हुआ.....
चार जानिब से ये आ रही है सदा
अलविदा अलविदा अलविदा अलविदा
अपने प्यारों के लाशों से होकर जुदा
ख़ून रोता हुआ लो चला क़ाफ़िला
बैन करता हुआ.....
हाल उस वक़्त का कैसे "गौहर" लिखे
देख कर सूए मक़तल सभी रो दिए
सब शहीदों के लाशे तड़पने लगे
जब आई ये सदा लो चला क़ाफ़िला
बैन करता हुआ.....
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Bain karta huwa khak udata huwa
Tashna lab berida lo chala qafla
Sun ke shor-e-fugha ek kohram hai
Barsare Karbala lo chala qafla
Bain karta huwa.....
Rasme pardagari jis ke ghar se chali
Shahzadi wohi berida ho gayi
Mar na jaye kahin gham se Bint-e-Ali
Haye ab hoga kya lo chala qafla
Bain karta huwa.....
Apni surat dikha do mujhe meri jaan
Phir Khuda jaane aana ho ya ke na ho
Aao Akbar utho hum ko rukhsat karo
Ma ne ro ke kaha lo chala qafla
Bain karta huwa.....
Sani-e-Fatema binte Sher-e-Khuda
Kaise bazar main jayegi berida
Kaise tay hoga woh sham ka raasta
Ro rahi hai faza lo chala qafla
Bain karta huwa.....
Pyar se jis ko pala tha Shabbir ne
Usko jakda gaya touq-o-zanjeer se
Raah purkhaar par pabarahna safar
Kaise hoga bhala lo chala qafla
Bain karta huwa.....
Rakh khaime huwe sab asasa luta
Besahara Payambar ka kunba huwa
Sham-e-ghurbat ke qaidi chale sham ko
Le chale ashqiya lo chala qafla
Bain karta huwa.....
Hain Nabizadian sar khule berida
Kya ghazab hogaya kya sitam hogaya
Bekajawa sawari aur Aal-e-Aba
Shor-e-matam utha lo chala qafla
Bain karta huwa.....
Jinki chahat pe kaunain ko naaz hai
Jiska saani zamane me koi nahi
Chahne wale wo bhai aur bahan
Ho rahe hai juda lo chala qafla
Bain karta huwa.....
Char janib se ye aa rahi hai sada
Alwida Alwida Alwida Alwida
Apne pyaro ke lashon se hokar juda
Khoon rota huwa lo chala qafla
Bain karta huwa.....
Haal us waqt ka kaise "Gauhar" likhe
Dekh kar sue maqtal sabhi ro diye
Sab shahido ke laashe tadapne lage
Jab aayi ye sada lo chala qafla
Bain karta huwa.....
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