Alwida alwida alwida aye Hussain


अलविदा अलविदा अलविदा ऐ हुसैन

ये सदायें फ़ुग़ा और ये मजलिसें 
मातमों नौहा और ग़म की ये ज़ीनते
चाहता है ये दिल यूहीं क़ायम रहे
आह फटता है दिल किस तरहा ये कहे

अलविदा अलविदा.....

मेरे मेहमान है आख़िरी ये सलाम
मुझ पे क़ुरबान है आख़िरी ये सलाम
शाहे ज़ीशान है आख़िरी ये सलाम
दिल है वीरान है आख़िरी ये सलाम

अलविदा अलविदा.....

बख़्श दे हो गई हो जो कोई ख़ता
हक़्क़े ख़िदमत ना हमसे अदा हो सका
ग़म यही है ना जी भर के मातम किया
तेरी ख़ातिर ना क्यूँ अपना सर दे दिया

अलविदा अलविदा.....

गर जिए साल भर फिर करेंगे ये ग़म
रोएंगे फिर तेरे ग़म में मिलकर बहम
और अगर मर गए तो ये होगा अलम
हाय अफ़सोस जी भर के रोए ना हम

अलविदा अलविदा.....

अलविदा ऐ हुसैन ऐ हुसैन अलविदा
अलविदा ऐ शहे मशरेक़ैन अलविदा
बिन्ते अहमद के ऐ नूरे ऐन अलविदा
है "मुजाहिर" के लब पर ये बैन अलविदा

अलविदा अलविदा अलविदा ऐ हुसैन

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Alwida alwida alwida aye Hussain

Ye sadaye fughan aur ye majlise
Matamo nauha aur gham ki ye zeenate
Chahta hai ye dil yuhin qayam rahe
Aah phat-ta hai dil kis tarha ye kahe

Alwida Alwida.....

Mere mehmaan hai aakhri ye salaam
Mujhpe qurban hai aakhri ye salaam
Shahe Zeeshan hai aakhri ye salaam
Dil hai veeran hai aakhri ye salaam

Alwida Alwida.....

Baksh de hogayi ho jo koi khata
Haqqe khidmat na humse ada ho saka
Gham yehi hai na ji bhar ke matam kiya
Teri khaatir na kyun apna sar de diya

Alwida Alwida.....

Gar jiye saal bhar phir karenge ye gham
Royenge phir tere gham may milkar ba-ham
Aur agar mar gaye to ye hoga alam
Haaye afsos jee bhar ke roye na hum

Alwida Alwida.....

Alwida ay Hussain ay Hussain alwida
Alwida aye shahe mashraqain alwida
Binte ahmed aye noore ain alwida
Hai "Mujahir" ke lab par ye bain alwida

Alwida alwida alwida aye Hussain

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