ख़ैमा-ए-सय्यद-ए-सज्जाद में आते हैं हुसैन
ग़श में है बीमार सीने से लगाते है हुसैन
नौहा करते हैं और कभी रोते हैं हुसैन
मेरे बीमार की अल्लाह हिफ़ाज़त करना
बेड़िया पहने हुए है इसको है दर दर फिरना
पास जो कुछ भी था सब तुझे पे लुटाया हमने
अपने नाना से किया वादा निभाया हमने
एक क़दम भी ना कहीं पीछे हटाया हमने
हर मुसीबत को गले अपने लगाया हमने
मेरे बीमार की अल्लाह हिफ़ाज़त करना
हर तरफ़ इतरते अतहार से बेज़ारी है
हर क़दम पर यहाँ दुशवारी ही दुशवारी है
मेरा सर कटने की मैदान में तय्यारी है
और इधर आबिद-ए-बीमार की बीमारी है
मेरे बीमार की अल्लाह हिफ़ाज़त करना
ताज़ियानों की मेरे लाल पे होगी बरसात
हाँ मसायब में गुज़रनी है सदा इसकी हयात
पालने वाले है मालूम तुझे सब हालात
कौन देगा परदेस में मेरे बीमार का साथ
मेरे बीमार की अल्लाह हिफ़ाज़त करना
मेरे कुनबे को बचाने नहीं आएगा कोई
पानी प्यासों को पिलाने नहीं आएगा कोई
ग़श से आबिद को जगाने नहीं आएगा कोई
आग ख़ैमों की बुझाने नहीं आएगा कोई
मेरे बीमार की अल्लाह हिफ़ाज़त करना
हर घड़ी इसपे सितम अहले सितम ढाएँगें
बेड़ियाँ पैरों में बीमार के पहनाएँगें
दर बदर क़ैदी बना कर इसे ले जाएँगें
हर अज़ीयत इसे देंगे इसे तडपाएँगें
मेरे बीमार की अल्लाह हिफ़ाज़त करना
तन्हा होगा ये उधर लाखों का लश्कर होगा
नैज़ा होगा तो किसी हाथ में पत्थर होगा
हाय माँ बहनों का फूफ़ियों का खुला सर होगा
देख पाउँगा ना मैं ऐसा वो मंज़र होगा
मेरे बीमार की अल्लाह हिफ़ाज़त करना
बेड़ियाँ पहने हुए काँटों पे चलना है इसे
शाम-ओ-कूफ़ा के मसायब से गुज़रना है इसे
अपने ख़ुतबों से ज़माने को जगाना है इसे
ज़िम्मेदारी का बड़ा बोझ उठाना है इसे
मेरे बीमार की अल्लाह हिफ़ाज़त करना
अपने फरज़ंद से "दानिश" हुए रुख़सत सरवर
अश्क़ आँखों में थे क़ाबू में ना था क़लबो जिगर
याद आता कभी भाई कभी अकबर सा पिसर
बस ये कहते हुए शह निकले ख़ैमें से बाहर
मेरे बीमार की अल्लाह हिफ़ाज़त करना
बेड़िया पहने हुए है इसको है दर दर फिरना
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Khaimaye Sayyede Sajjad me aate hai Hussain X 3
Ghash me hai beemar seene se lagate hai Hussain X 2
Nauha karte hai aur kabhi rote hai Hussain X 2
Mere Bimar Ki Allah Hifazat Karna X 2
Bediya pahne hue hai isko hai dar dar phirna X 2
Paas jo kuch bhi tha sab tujhe pe lutaya hamne X 2
Apne nana se kiya wada nibhaya hamne X 2
Ek qadam bhi na kahi peeche hataya hamne X 2
Har museebat ko gale apne lagaya hamne X 2
Mere Bimar Ki Allah Hifazat Karna X 2
Har taraf itrate athar se bezari hai X 2
Har qadam per yaha dushwar hi dushawari hai X 2
Mera sar katne ki maidan me tayyari hai X 2
Aur idhar Abid e Beemar ki bimari hai X 2
Mere Bimar Ki Allah Hifazat Karna X 2
Taziyano ki mere laal pe hogi barsaat X 2
Ha masayab me guzarni hai sada iski hayaat X 2
Paalne waale hai maloom tujhe sab haalat X 2
Kaun dega pardes me mere beemar ka saath X 2
Mere Bimar Ki Allah Hifazat Karna X 2
Mere kunbe ko bachane nahi aayega koi X 2
Paani pyaso ko pilane nahi aayega koi X 2
Gash se Abid ko jagane nahi aayega koi X 2
Aag khaimo ki bujhane nahi aayega koi X 2
Mere Bimar Ki Allah Hifazat Karna X 2
Har ghadi ispe sitam ahle sitam dhayenge X 2
Bediya pairo me beemar ke pahnayenge X 2
Dar badar qaidi bana ker ise le jayenge X 2
Har aziyat ise denge ise tadpayenge X 2
Mere Bimar Ki Allah Hifazat Karna X 2
Tanha hoga ye udhar lakho ka lashkar hoga X 2
Naiza hoga to kisi haath me patthar hoga X 2
Haye ma bahano ka phuphiyo ka khula sar hoga X 2
Dekh paaonga na mai aisa wo manzar hoga X 2
Mere Bimar Ki Allah Hifazat Karna X 2
Bediya pahane hue kanto pe chalna hai ise
Shaamo Kufa ke masaaib se guzarna hai ise
Apne khutbo se zamane ko jagana hai ise
Zimmedari ka bada bojh uthana hai ise
Mere Bimar Ki Allah Hifazat Karna X 2
Apne farzand se Danish hue rukhsat Sarwar
Ashq ankho me the qaboo me na tha qalbo jigar
Yaad aata kabhi bhai kabhi Akber sa pisar
Bas ye kahte hue Shah nikle khaime se bahar
Mere Bimar Ki Allah Hifazat Karna
Bediya pahne hue hai isko hai dar dar phirna
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