Ek Mehr-e-Karbala aur uski Tanveere bahot


एक मेहर-ए-करबला और उसकी तनवीरें बहोत
आइने में यूँ नज़र आती हैं तस्वीरें बहोत

एक मेहर-ए-करबला और उसकी तनवीरें बहोत

हासिले अशके ग़मे शब्बीर जन्नत ही नहीं
ख़ुल्द से पहले भी हैं मक़्सूद जागीरें बहोत

एक मेहर-ए-करबला और उसकी तनवीरें बहोत

तू भी ख़ाके करबला अपनी जबीं पर मल के देख
हमने बनते हुए यूँ देखीं हैं तक़दीरें बहोत

एक मेहर-ए-करबला और उसकी तनवीरें बहोत

रिश्ता-ए-क़ुरान-ओ-अहलेबैत क्या समझेंगे वो
अपनी मर्ज़ी से जो कर लेते हैं तफ़सीरें बहोत

एक मेहर-ए-करबला और उसकी तनवीरें बहोत

था अली का शेर आया और पानी ले गया
सर पटकती रह गयी दरया पे शमशीरें बहोत

एक मेहर-ए-करबला और उसकी तनवीरें बहोत

रास्ते की हर कड़ी ज़ंजीर कट कर गिर गयी
थी अगरचे पाँव में आबिद के ज़ंजीरें बहोत

एक मेहर-ए-करबला और उसकी तनवीरें बहोत

इसमें शामिल है लहू सिब्ते पयम्बर का "उरूज"
क्यूँ ना रखे करबला की ख़ाक तासीरें बहोत

एक मेहर-ए-करबला और उसकी तनवीरें बहोत

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Ek Mehr-e-Karbala aur uski tanveere bahot
Aaene may yun nazar aati hai tasveere bahot

Ek Mehr-e-Karbala aur uski tanveere bahot

Haasile ashke ghame Shabbir jannat hi nahi
Khuld se pehle bhi hai maqsud jaagere bahot

Ek Mehr-e-Karbala aur uski tanveere bahot

Tu bhi khake Karbala apni jabii per mal ke dekh
Humne yu dekhi hai banti hui taqdeere bahot

Ek Mehr-e-Karbala aur uski tanveere bahot

Rishta e Quran-o-Ahlebait kya samjhenge wo
Apni marzi se jo kar lete hai tafseere bahot

Ek Mehr-e-Karbala aur uski tanveere bahot

Tha Ali ka Sher aaya aur pani le gaya
Sar patakti reh gayi darya pe shamsheere bahot

Ek Mehr-e-Karbala aur uski tanveere bahot

Raaste ki har kadi zanjeer kat kar gir gayi
Thi agarche paon may Abid ke zanjeere bahot

Ek Mehr-e-Karbala aur uski tanveere bahot

Isme shaamil hai lahoo sibte payambar ka "Urooj"
Kyun na rakhe Karbala ki khaak taaseere bahot

Ek Mehr-e-Karbala aur uski tanveere bahot

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