Shamma se shamma jale ye silsila jari rahe

शम्मां से शम्मां जले, सिलसिला जारी रहे
हम रहें या ना रहें, यह अज़ादारी रहे

शम्मां से शम्मां जले.......

अपनी नस्लों को सिखाते रहो,मातम का हुनर
सीना दर सीना करे, बस यह अज़ादारी सफ़र
जैसे हालात भी हो, रस्म यह जारी रहे
हम रहें या ना रहें, यह अज़ादारी रहे

शम्मां से शम्मां जले....... 

लाख बदले यह ज़माने की रविश और मौसम
एक पल भी ना रुके अश्क़े अज़ा और मातम
मातमे शह का जुनूँ ज़हन पर तारी रहे
हम रहें या ना रहें, यह अज़ादारी रहे

शम्मां से शम्मां जले........

तुम अगर ज़ाकिरे शब्बीर हो तो यह याद रहे
चाहे इस ग़म के लिए सर भी कटे घर भी जले
हुरमते फ़रशे अज़ा, जान से प्यारी रहे
हम रहें या ना रहें, यह अज़ादारी रहे

शम्मां से शम्मां जले........

यह सबीले यूहीं आबाद रहे अहले अज़ा
और घर घर पे नज़र आए अलम ग़ाज़ी का
यह अलम ऊँचा रहे, यह अलमदारी रहे
हम रहें या ना रहें, यह अज़ादारी रहे

 शम्मां से शम्मां जले........

दुनिया वालों की ना परवाह ना कुछ बात करो
मन्नति बेड़ियाँ सज्जाद के ग़म में पहनो
रौनके फ़र्शे अज़ा गिरिया ओ जारी रहे
हम रहें या ना रहें, यह अज़ादारी रहे

 शम्मां से शम्मां जले........

माँओं बहनों को है पैग़ाम मेरा सिर्फ़ यही
अपने बच्चों  को जुलूसों से नहीं रोको कभी
यह शहादत है शरफ़, यह शरफ़ जारी रहे
हम रहें या ना रहें, यह अज़ादारी रहे

शम्मां से शम्मां जले........

अपने घर में भी अज़ाखाना सजाना है मुझे
अपने बच्चों को अज़ादार बनाना है मुझे
ताके इस नस्ल में भी, ताज़िया जारी रहे
हम रहें या ना रहें, यह अज़ादारी रहे

शम्मां से शम्मां जले........

मजलिसे शह की ज़िन्दाँ में जो बुनियाद रखी
अस्ल में बीबी ओ सज्जाद की ख़्वाहिश थी यही
यह अज़ादार रहे यह अज़ादारी रहे
हम रहें या ना रहें, यह अज़ादारी रहे

शम्मां से शम्मां जले........

मजलिस ओ मातमे शब्बीर की तबलीग़ करो
बात यह "मज़हर ओ इरफ़ान" ज़माने से कहो
मुनकिरे बीबी से हर हाल में बेज़ारी रहे
हम रहें या ना रहें, यह अज़ादारी रहे

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Shama Se Shama Jale,Silsila Jari Rahe,
Hum Rahe Ya Na Rahe, Yeh Azadari Rahe.

Shama Se Shama Jale.......

Apni Naslon Lo Sikhate Raho,Matam Ka Hoonar,
Seena Dar Seena Kare, Bus Yeh Azadari Safar,
Jaise Halath Bhi Ho, Yeh Amal Jari Rahe,
Hum Rahe Ya Na Rahe, Yeh Azadari Rahe.

Shama Se Shama Jale.......

Lakh Badle Yeh Zamane Ki Ravish Aur Mausam,
Ek Pal Bhi Na Ruke Ashk E Aza Aur Matam,
Matam E Sheh Ka Junoon Zahn Par Tari Rahe
Hum Rahe Ya Na Rahe Yeh Azadari Rahe.

Shama Se Shama Jale........

Tum Agar Zakir E Shabbir (As) Ho Yeh Yaad Rahe,
Chahe Is Gam Ke Liye Sar Bhi Kate Ghar Bhi Jale
Hurmat E Farsh E Aza, Jaan Se Pyari Rahe,
Hum Rahe Ya Na Rahe Yeh Azadari Rahe.

Shama Se Shama Jale........

Yeh Sabile Yuhi Aabad Rahe Ahle Aza,
Aur Ghar Ghar Pe Nazar Aaie Alam Gazi(As) Ka,
Yeh Alam Ooncha Rahe, Yeh Alamdari Rahe,
Hum Rahe Ya Na Rahe Yeh Azadari Rahe.

Shama Se Shama Jale........

Dunia Walon Ki Na Parvah Na Kutch Baat Karo,
Mannati Bedian Sajjad Ke Gam Me Pehno,
Raunake Farsh E Aza Giria O Jari Rahe
Hum Rahe Ya Na Rahe Yeh Azadari Rahe.

Shama Se Shama Jale........

Maao Behno Ko Hai Paigam Mera Sirf Yahi,
Aapne Bacchon Ko Juluson Se Nahi Roko Kabhi,
Yeh Shahadat Hai Sharaf, Yeh Sharaf Jaari Rahe,
Hum Rahe Ya Na Rahe Yeh Azadari Rahe.

Shama Se Shama Jale........

Apne  Ghar Me Bhi Aza Khana Sajana Hai Mujhe,
Apne Bacchon Ko Azadar Banana Hai Mujhe,
Taa Ke Is Nasl Me Bhi, Tazia Dari Rahe,
Hum Rahe Ya Na Rahe Yeh Azadari Rahe.

Shama Se Shama Jale........

Majlis E Shah (As) Ki  Zindan Me Jo Buniad Rakhi,
Asl Me Bibi O Sajjad Ki Khwaish Thi Yahi,
Yeh Azadar Rahe Yeh Azadari Rahe,
Hum Rahe Ya Na Rahe Yeh Azadari Rahe.

Shama Se Shama Jale........

Majlis O Matam E Shabbir (As) Ki Tableeg Karo,
Baat Yeh Mazhar O Irfan Zamane Se Kaho,
Munkir E Bibi(Sa) Se Har Haal Me Bezari Rahe,
Hum Rahe Ya Na Rahe Yeh Azadari Rahe.

Shama Se Shama Jale........

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