क़ब्र असग़र की बनाने में बहोत देर लगी
शह को एक चाँद छुपाने में बहोत देर लगी
कुछ क़दम दूर है बाज़ार से दरबार मगर
फिर भी शहज़ादी को आने में बहोत देर लगी
क़ब्र असग़र की बनाने में बहोत देर लगी
शह ने हर लाश को जल्दी से उठाया लेकिन
लाश अकबर की उठाने में बहोत देर लगी
क़ब्र असग़र की बनाने में बहोत देर लगी
टुकड़े चुनते हुए क़ासिम के कहा मौला ने
हाए अफ़सोस के आने में बहोत देर लगी
क़ब्र असग़र की बनाने में बहोत देर लगी
है इस क़दर प्यास से सूखा था गुलु-ए-सरवर
शिम्र को तेग़ चलाने में बहोत देर लगी
क़ब्र असग़र की बनाने में बहोत देर लगी
करबला जाके "तकल्लुम" ने यही पूछा था
मुझको सरकार बुलाने में बहोत देर लगी
क़ब्र असग़र की बनाने में बहोत देर लगी
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Qabr Asghar ki banane may bahot der lagi
Sheh ko ek chand chupane may bahot der lagi
Kuch qadam door hai bazaar se darbar magar
Phir bhi Shehzadi ko aane may bahot der lagi
Qabr Asghar ki banane may bahot der lagi
Sheh ne har laash ko jaldi se uthaya lekin
Laash akbar ki uthane may bahot der lagi
Qabr Asghar ki banane may bahot der lagi
Tukde chunte hue Qasim ke kaha maula ne
Haaye afsos ke aane may bahot der lagi
Qabr Asghar ki banane may bahot der lagi
Hai is qadar pyas se sookha tha guluay Sarwar
shimr ko taygh chalane may bahot der lagi
Qabr Asghar ki banane may bahot der lagi
Karbala jaake 'Takallum' ne yehi poocha tha
Mujko Sarkar bulane may bahot der lagi
Qabr Asghar ki banane may bahot der lagi
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