Zahra ki dua hai yeh matam


ज़हरा की दुआ है ये मातम
ये मातम कैसे रुक जाए
ज़हरा की दुआ है ये मातम
ये मातम कैसे रुक जाए

कौनैन की हर दौलत दे कर
इस ग़म की हिफ़ाज़त करना है
शब्बीर की ख़ातिर जीना है
शब्बीर की ख़ातिर मरना है

ये जिस्म रहे या मिट जाए
मज़लूम का मातम करना है
ज़हरा की तमन्ना पूरी हो
ये जान रहे या मिट जाए

ज़हरा की दुआ है ये मातम
ये मातम कैसे रुक जाए

इस परचम की अज़मत के लिए
अब्बास ने बाज़ू दे डाले
इस परचम की इज़्ज़त के लिए
गाज़ी ने सहे दिल पर भाले

इस परचम के मशकीज़े से
लिपटे है सकीना के नाले
अब्बासे अली का परचम है
ये परचम कैसे झुक जाए

ज़हरा की दुआ है ये मातम
ये मातम कैसे रुक जाए

सालारे हुसैनी क्या कहना
मेराजे वफ़ा सरताजे वफ़ा
हर मौज तड़पती है अब तक
साहिल से जो तू पलटा प्यासा

बा हुक्मे हुसैनी जंग ना की
हर वार सहा हर ज़ुल्म सहा
था होश में जब तक फ़िक्र ये थी
प्यासी ना सकीना रह जाए

ज़हरा की दुआ है ये मातम
ये मातम कैसे रुक जाए

जब तक के सकत इस जिस्म में है
हक़ अपना अदा कर देना है
क़िस्मत जो सआदात दे हमको 
ये जान फिदा कर देना है

या अश्क से या ख़ूने दिल से
इस दामन को भर देना है
आई हैं यहाँ एक शहज़ादी
उम्मीद का दामन फैलाए

ज़हरा की दुआ है ये मातम,
ये मातम कैसे रुक जाए

ये मातम है हलमिन की सदा
हर अश्क है जज़्बा नुसरत का
यूँ हक़ की तरफ आ जाने का
हासिल है अभी तक एक मौक़ा

पहचान ज़मीर-ओ-दिल की सदा
इस मातम में शामिल हो जा 
शब्बीर बुलाते हैं अब तक
गर हुर हो कहीं तो आ जाए

ज़हरा की दुआ है ये मातम
ये मातम कैसे रुक जाए

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Zahra ki dua hai ye matam
yeh matam kaise ruk jaye
Zahra ki dua hai ye matam
ye matam kaise ruk jaye

Kaunain ki har daulat de kar
Is gham ki hifazat karna hai
Shabbir ki khaatir jeena hai
Shabbir ki khaatir marna hai

Ye jism rahe ya mit jaye
Mazloom ka matam karna hai
Zahra ki tamanna poori ho
Ye jaan rahe ya mit jaye

Zahra ki dua hai ye matam
Ye matam kaise ruk jaye

Is parcham ki azmat ke liye
Abbas ne baazu de daale
is parcham ki izzat ke liye
Ghazi ne sahey dil par bhaale

Is parcham ke mashkeeze se
Liptay hai sakina ke naale
Abbas-e-Ali ka parcham hai
Ye parcham kaise jhuk jaye

Zahra ki dua hai ye matam
Ye matam kaise ruk jaye

Salaar-e-Hussaini kya kehna
Meraj-e-wafa Sartaj-e-wafa
Har mauj tadapti hai ab tak
Saahil se jo tu palta pyaasa

Ba hukm-e-Hussaini jang na ki
Har waar saha har zulm saha
Aaghosh may jab tak fikr ye thi
Pyasi na Sakina reh jaye

Zahra ki dua hai ye matam
Ye matam kaise ruk jaye

Jab tak ye sakat is jism may hai
Haq apna ada kar dena hai
Qismat jo saadat de humko
Ye jaan fida kar dena hai

Ya ashk se ya khoon-e-dil se
Is daaman ko bhar dena hai
Aayi hai yahan ek Shehzaadi
Ummeed ka daaman phailaye

Zahra ki dua hai ye matam
Ye matam kaise ruk jaye

Ye matam hai halmin ki sada
Har ashk hai jazba nusrat ka
Yun haq ki taraf aa janey ka
Haasil hai abhi tak ek mauqa

Pehchan zameer-o-dil ki sada
Is matam mein shaamil hoja
Shabbir bulate hai ab tak
Gar Hur ho kahin to aajaye

Zahra ki dua hai ye matam
Ye matam kaise ruk jaye

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