रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
ये भी देखा है कि वो माँग रहा है पानी
अपना सर पीट रहें हैं मेरे बाबा जानी
पपड़िया प्यास की शिद्दत से पड़ी हैं लब पर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रब से करतीं है दुआ मुसल्ले पे मेरी माँ
बाल बिखराए है वो और उन्हें चैन कहाँ
रोके कहती हैं पलट आ ओ मेरा अकबर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
हाथ सीने पे रखे सोता है मेरा भय्या
उसे मारा किसी ज़ालिम ने जिगर पर नैज़ा
उसकी पोशाक नज़र आई मुझे ख़ून में तर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
एड़ियाँ ख़ाक पे अकबर को रगड़ते देखा
अपने बाबा को भी उस वक़्त तड़पते देखा
ख़ैर से हो मेरे बाबा भी शहे जिन्न-ओ-बशर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
मुझसे मंज़र वो अजब ख़्वाब में देखा ना गया
जब हुआ ऐसा गज़ब ख़्वाब में देखा ना गया
नोके नैज़ा पे नज़र आया मुझे उसका सर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
आ रही है मेरे कानों में सदा रोने की
बाप से भाई से अम्मू से जुदा होने की
डर है बर्बाद ना हो जाए कहीं शह का घर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
ये भी सच है अली अकबर से बहुत दूर हूँ मैं
कैसे दीदार करूँ भाई का मजबूर हूँ मैं
कोई देता नहीं अकबर की मुझे ख़ैर-ओ-ख़बर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
दस मुहर्रम को था सुग़रा का अजब हाल "नवाब"
वो मुसल्ले पे थी बिखराए हुए बाल "नवाब"
रोके के कहती थी वो बोलो ये लोग नौहा पढ़कर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
रोज़े आशूर ये सुग़रा ने कहा रो रोकर
या इलाही मेरा अकबर हो जहाँ ख़ैर से हो
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Roz-e-aashoor ye Sughra ne kaha ro roker
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Ye bhi dekha hai wo maang raha hai paani
Apna ser peet rahe hai mere baba jaani
Papdiya pyaas ki shiddat se padi hai lab per
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Roz-e-aashoor ye Sughra ne kaha ro roker
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Rab se karti hai musalle pe meri maa
Baal bikhraye hai wo aur unhe chain kaha
Roke kahti hain palat aa o mera Akber
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Roz-e-aashoor ye Sughra ne kaha ro roker
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Haath seene pe rakhe sota hai mera bhayya
Uske maara kisi zaalim ne jigar per naiza
Uski poshak nazar aayi mujhe khoon me tar
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Roz-e-aashoor ye Sughra ne kaha ro roker
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Ediya khaaq pe Akber ko ragadte dekha
Apne baba ko bhi us waqt tadapte dekha
Khair se ho mere baba bhi Shah-e-jinn-o-bashar
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Roz-e-aashoor ye Sughra ne kaha ro roker
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Mujh se manzar wo ajab khwaab me dekha na gaya
Jab hua aisa ghazab khwaab me dekha na gaya
Nok-e-neza pe nazar aaya mujhe uska ser
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Roz-e-aashoor ye Sughra ne kaha ro roker
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Aa rahi hai mere kaano me sadaa rone ki
Baap se bhai se ammu se judaa hone ki
Darr hai barbaad na ho jaye kahi Shah ka ghar
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Roz-e-aashoor ye Sughra ne kaha ro roker
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Ye bhi sach hai Ali Akber se bahut door hu main
Kaise deedar karu bhai ka majboor hu main
Koi deta nahin Akber ki mujhe khair-o-khabar
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Roz-e-aashoor ye Sughra ne kaha ro roker
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Dus muharram ko tha Sughra ka ajab haal "Nawab"
Wo musalle pe thi bikhraye huye baal "Nawab"
Roke ke kahti thi wo bolo ye log Nauha padhkar
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
Roz-e-aashoor ye Sughra ne kaha ro roker
Ya Ilahi mera Akber ho jaha khair se ho
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