हैदर पर मुस्तफ़ा की नयाबत को नाज़ है
सिप्तैन और फ़ातमा पे तहारत को नाज़ है
अब्बास को अगरचे इमामत नहीं मिली
लेकिन ये वो हैं जिनपे इमामत को नाज़ है
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खुदा की राह में कारेनुमाया ऐसे होते हैं
तहे खंजर किये सजदे मुस्लमाँ ऐसे होते हैं
वो प्यारी प्यारी शक्लें देख कर आले पयम्बर की
सितारों ने कहा ए चाँद इंसाँ ऐसे होते हैं
जवानी रन से कहती आ रही है लाशे क़ासिम पर
कि इस्लामी जवाँ मर्दों के अरमाँ ऐसे होते हैं
मुसाफ़िर का तने बेसर है और शब का अँधेरा है
किसी की लाश पर गेसू परेशाँ ऐसे होते हैं
क़दम पर शह के दम निकला हबीब इब्ने मज़ाहिर का
मुहब्बत के वफ़ा के पैमाँ ऐसे होते हैं
खुदा ही जाने दिल से क्या कहा होगा निगाहों ने
सकीना को खबर क्या थी के ज़िन्दां ऐसे होते हैं
सुना कर नज्म क़िस्सा कर्बला वाले शहीदों का
मुसलमानों को समझा दो मुस्लमाँ ऐसे होते हैं
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सदाक़त की मुहम्मद से गवाही ले लो
फ़िक्र की आख़िरी मंज़िल को अली
फ़ज़्ले ख़ुदा से दो पेसर दोनों इमामे मशरेक़ैन
बाप को क्यों हो ज़हमतें ऐसे हो जब के नूरे ऐन
हुक्मे रसूल के ख़िलाफ़ जौरे यज़ीद देख कर
दीन पुकारा या अली सामने आ गए हुसैन
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तर्जुमाने सीरते आले एबा ज़ैनब हुँ
शाराये अहकामे दीने मुस्तफ़ा ज़ैनब हुँ
नासिरे पैग़ामे शाहे करबला ज़ैनब हुँ
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